Monday, January 10, 2022

अनोखी प्रथा! बुर्के में रहते हैं यहां के मर्द, महिलाओं को शादी से पहले ही संबंध बनाने की आजादी

 

अनोखी प्रथा! बुर्के में रहते हैं यहां के मर्द, महिलाओं को शादी से पहले ही संबंध बनाने की आजादी



यहाँ महिलाओं के आगे खाना नहीं खा सकते पुरुषतुआरेग महिलाओं के हो सकते हैं कई पार्टनर

दुनिया में कई देशों में अभी भी कुछ ऐसी मान्यताएं हैं जो आपको चौंका सकती हैं। आज के जमाने में भी दुनिया के कई ऐसे समुदाय हैं जो अपनी पुरानी प्रथाओं का पालन करते आ रहे हैं। ऐसा ही एक समुदाय है अफ्रीका में, ये समुदाय सहारा रेगिस्तान में रहता है जहाँ की महिलाओं को शादी से पहले किसी भी मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने की आजादी है।

उत्तरी अफ्रीका के माली, नाइजर, लीबिया, एल्जीरिया जैसे देशों में रहने वाली करीब 20 लाख लोगों की आबादी वाली ये जनजाति है, जिसका नाम तुआरेग है। ये एक मुस्लिम जनजाति है मगर अन्य मुस्लिम समुदायों की तरह इस जनजाति की महिलाओं को इतनी स्वतंत्रता है कि औरतें बिना बुर्के के रहती हैं और शादी से पहले किसी भी मर्द के साथ संबंध बना सकती हैं।

बुर्के में रहते हैं यहां के मर्द 

इतना ही नहीं तुआरेग जनजाति के मर्दों को बुर्के में रहना पड़ता है। गार्जियन वेबसाइट की फोटोग्राफर हेनरिटा बटलर Henrietta Butler ने साल 2001 में पहली बार तुआरेग जनजाति की तस्वीरें खींची थीं। तब उन्होंने मर्दों से ये सवाल किया था कि ऐसा क्यों है कि पुरुष पर्दे में रहते हैं और महिलाएं बेपर्दा होती हैं। इसके जवाब में पुरुषों ने कहा था कि उनके जनजाति की महिलाएं खूबसूरत होती हैं इसलिए उनका खूबसूरत चेहरा वो हमेशा देखते रहना चाहते हैं।

महिलाओं के आगे खाना नहीं खा सकते पुरुष 

तुआरेग महिलाओं के कई पार्टनर हो सकते हैं और वो शादी से पहले भी संबंध बना सकती हैं। हालांकि, यह काम अंधेरे में होता है। जी हां पुरुषों को महिलाओं को पास रात के अंधेरे में जाना होता है और सुबह होना से पहले लौटना होता है। इसके साथ ही महिलाएं अपने पति को शादी के बाद अपनी मर्जी से तलाक भी दे सकती हैं। यहाँ के पुरुषों को महिलाओं के सामने पर्दे में रहना पड़ता है और उनके सामने खाना खाने की भी रोक होती है।

Saturday, January 8, 2022

मप्र में भी हुआ था जलियांवाला जैसा हत्याकांड | MP CHARAN PADUKA HATYAKAND

 


मप्र में भी हुआ था जलियांवाला जैसा हत्याकांड | MP CHARAN PADUKA HATYAKAND

            निहत्थे नागरिकों को घेरकर गोलियों से भून डालने की घटना केवल 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के जलियांवाला बाग में ही नहीं हुई थी बल्कि ऐसी घटनाएं आगे भी होतीं रहीं। 1930 में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के 'चरण पादुका' नामक कस्बे में भी असहयोग आंदोलन में शामिल गांधीवादियों को गोलियों से भून दिया गया था। क्योंकि यह कस्बा दिल्ली के नजदीक नहीं था इसलिए इतिहास में दर्ज भी नहीं हो पाया। 

1930 में महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला। यहां भी विदेशी चीजों का बहिष्कार और देशी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे। 1930 में छतरपुर जिले के चरण पादुका (मान्यतानुसार वनगमन के दौरान यहाँ भगवान श्रीराम के चरण पड़े थे, जिसके चिन्ह आज भी हैं) नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग सात हजार लोग शामिल हुए। 

इस जनसभा में आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, लगान भुगतान न करने की अपील की थी। सभा में मौजूद लोगों ने एकजुट होकर ऐलान किया कि वो लगान अदा नहीं करेंगे। जिसके बाद राजनगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर लोगों पर गोलियां बरसाई गई। घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे जिनमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। 

14 जनवरी 1931 का वह काला दिन, जबकि मकर संक्रांति के मेले में चरणपादुका में हो रही सभा को सेना ने घेर लिया। आमसभा में उपस्थित निहत्थे लोगों पर बेरहमी से मशीनगनों और बंदूकों से गोलियों की बौछार की गई। इस गोली-बारी में 21 लोगों की मृत्यु हुई और 26 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

स्वतंत्रता के इस यज्ञ में अपनी आहुती देने वाले बलिदानियों में पिपट के सेठ सुन्दरलाल बरोहा, छीरू कुरमी, बंधैया के हलकई अहीर, खिरवा के धर्मदास और गुना बरवा के रामलाल शामिल थे। इसके बाद 21 व्यक्ति गिरफ्तार किये गए। इनमें से सरजू दउआ को चार वर्ष तथा शेष 20 को तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई गई।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 'चरण पादुका' बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया, जहाँ पर लगे हुये एक बोर्ड पर बलिदानी देशभक्तों के नाम अंकित हैं, जिनमें अमर शहीद श्री सेठ सुंदर लाल गुप्ता, गिलोंहा, श्री धरम दास मातों, खिरवा, श्री राम लाल, गोमा, श्री चिंतामणि, पिपट, श्री रघुराज सिंह, कटिया, श्री करण सिंह, श्री हलकाई अहीर, श्री हल्के कुर्मी, श्रीमती रामकुंवर, श्री गणेशा चमार, लौंड़ी आदि के नाम शामिल हैं।